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Wednesday, August 15, 2012

हम भ्रष्टाचार मुक्त होने के लिए तैयार नहीं हैं.


भ्रष्टाचार आज की तारीख में एक टी० आर० पी० खींचू विषय है, नेतागिरी, बाबागिरी, न्यूज़ चैनल गिरी से लेकर आत्मप्रचार और इमेज चमकाने तक के लिए भ्रष्टाचार विरोधी आन्दोलन आसान जरिया हैं. मध्य वर्ग   को आसानी से बेचीं जा सकने वाली ख़बरों के कारण मीडिया इधर कुछ ख़ास मेहरबान है. और इधर  चौक, मोहल्ला , गली ,नुक्कड़ ,चायखाने हर जगह आम आदमी निजी अनुभव के तडके के साथ भ्रष्टाचार के खात्मे की ज़रूरत पर चिता परोस रहा है. कुल मिला कर एक राष्ट्रव्यापी शोर है भ्रष्टाचार के नाम  पर , अगर कहीं सन्नाटा है तो वो है भ्रष्टाचर की जड़ों और भ्रष्टाचार के लिए ज़िम्मेदार हमारी नीतिगत खामियों के सवाल पर और सन्नाटा है भ्रष्टाचार मुक्त जीवन शैली अपनाने के लिए  हमारी खुद की तैयारियों पर.
सरकारी /निजी क्षेत्र के दफ्तरों , राज्य / केंद्र सरकार के मंत्रालयों , राजनीतिक दलों , अधिकारी /कर्मचारी , नेता /बाबा की हद से कहीं आगे निकल कर आज हमारी जीवन शैली में शामिल है संस्कृति हो जाने की हद तक . ये स्थापित तथ्य है कि भारटीय राजनीति विकल्पहीनता से ग्रस्त है , घूम फिर कर कांग्रेस/ बीजेपी के नेतृत्व वाले किसी एक गठबंधन को चुनना जिनमें कि  चेहरे इधर से उधर होते रहते हैं.  दोनों में ख़ास चारित्रिक /नीतिगत अंतर भी नहीं है. भ्रष्टाचर  के मुद्दे पर भी दोनों का पलड़ा बराबर है. ऐसे में अगर राजनीतिक विकल्प तैयार करने की बात उठे तो ये  है स्वागत योग्य है, लेकिन अभी तक  
इस विकल्प की बात उठाने वाले 'अन्ना' ने कभी भ्रष्टाचार के नीतिगत कारणों पर बात नहीं की, उन्होंने कभी नहीं माना कि पूंजी का  चंद हाथों में ध्रुवीकरण ,शिक्षा की खुले आम बिक्री, विद्यार्थी के माँ बाप की जेब के लिहाज़ से उसके स्कूल , बोर्ड , और पाठ्यक्रम तक अलग होना,  चिकित्सा सुविधाओं का पूंजीवादी वर्गीकरण , दलित , आदिवासी , स्त्री , अल्पसंख्यक के लिए अवसरों /अधिकारों की अनुपलब्धता , मंदिरों मठों में धर्म के नाम पर लूट और इस काली कमाई के अरबों रुपयों का जनसामान्य के लिए कोई उपयोग न होकर चंद लोगों की ऐश का सामान होना जमाखोरी , कालाबाजारी,  किसानों के उत्पादन की लूट इत्यादि  उनके  लिए भ्रष्टाचार की श्रेणी में हैं  या नहीं ? वे भ्रष्टाचार को कारणों जड़ से मिटाने के लिए कोई नीतिगत प्रयास भी करेंगे या लोकपाल नाम के थानेदार को बिठाकर अपराध कम हो जाने को लेकर संतुष्ट हो जायेंगे ? उनके पास कौन सी ऐसी नीतियां/रूपरेखा /कार्यक्रम हैं ?
इस सब से इतर सबसे  बड़ा प्रश्न जनप्रतिनिधियों से होने वाली आम आदमी की उम्मीदों का है ? क्या आप - हम  ऐसे किसी व्यक्ति को वोट देने के लिए  तैयार हैं
 १. जो चुनाव आयोग द्वारा तय की गयी राशि खर्च कर के चुनाव लड़े, और इस कारण चुनाव प्रचार के लिए चमचों की फौज  का बंदोबस्त ,शराब / नोटों की बंदरबांट , प्रिंट / इलेक्ट्रानिक   मीडिया में प्रायोजित ख़बरों का प्रसारण न कर सके.
२. जो जीत के जश्न में फायरिंग न करे/कराये. दारु मुर्गे की पार्टी न दे , बारबालाओं का डांस न कराये.
३. आपके मकान /दूकान के अतिक्रमण तुडवा दे .
४. आपके गोदाम /दुकान / दफ्तरों में छापे डलवाए . 
५. आपके करीबी के विरुद्ध चोरी एक्सीडेंट से लेकर हत्या लूट बलात्कार तक की एफ़० आइ० आर० न  रुकवाए .
६. आपकी जात धर्म का होकर भी दंगे में आपका पक्ष न ले .
७. नौकरी , स्कूल के एडमिशन , ट्रांसफर ,प्रमोशन दफ्तरों से काम निकलवाने के लिए सिफारिश न करे .
८. सरकारी ठेके  न दिलाये , ठेकों में काम की गुणवत्ता की जांच कराये.
९. आपकी फैक्ट्री की टैक्स चोरियां , प्रदुषण , नियम विरुद्ध काम रुकवा दे .
१०. जो आप पूंजीपतियों के हाथों बिक कर  किसानों और जनसामान्य के हितों की अनदेखी कर आपके  हित में नीतियां न बनवाये  .
११. आपकी खाप पंचायतों को अवैध घोषित करवा के आपको तालिबानी फैसलों के लिए फांसी करवा दे.१२. आपको औरत , दलित, आदिवासी , अल्पसंख्यक की कतार में खड़ा कर दे .
१३. आपके बेटे बेटियों के दुसरी जाती और धर्मों में विवाह का पक्षधर हो .
१४. जो तय कर दे कि देश में सिर्फ  एक तरह के स्कूल कालेज होंगे , मंत्री से संतरी तक, धनपति से निर्धन तक  के बच्चे एक सी शिक्षा पायेंगे.  हर वर्ग के लिए एक सी चिकित्सा सुविधा करवा दे .
१५. धर्म स्थलों में चढ़ावे पर पाबन्दी लगवा  दे . धर्म स्थलों पर से जाति विशेष का वर्चस्व समाप्त करवा दे . धर्म स्थलों की wartmaan संपत्ति का राष्ट्रीयकरण करवाए .
१६. धार्मिक फतवों पर पाबन्दी लगवा दे. सामान नागरिक संहिता लागू कराये.
१७.  सरकारी  संपत्ति पर से आपके और आपके धार्मिक समूह के कब्ज़े बेदखल करवा दे.
१८. किसानों से औने पौने दामों पर अधिग्रहीत कर आपकी फैक्ट्री को भूमि आबंटन न करे , आबंटित भूमि आपसे छीन कर किसानों को ;लौटा दे.
१९. आप जैसे धनपतियों की लूट की सुविधा के लिए तमाम तरह की कर छूट वाले ' स्पेशल  इकोनोमिक ज़ोन' बनाने की बजाय किसानों की ख़ुदकुशी रोकने के लिए 'स्पेशल  एग्रीकल्चर पालिसी ' बनाए .
२०. जो जाति व्यवस्था को अवैध घोषित करवा दे . 
२१. जो  पैत्रिक  संपत्ति में बेटी को बराबरी  का हिस्सा मिलना सुनिश्चित करवा दे.
२२. जो वयस्क  हो जाने पर खुद धर्म चुनने  का कानून ले आये ,बच्चों को बिना धर्म का माना जाये  और वयस्कों  को बिना धर्म के रहने का विकल्प दिला सके.
२३. जो चुने हुए नेताओं को वापस बुलाने और चुनाव में खड़े उम्मीदवारों को रिजेक्ट करने का अधिकार दिला सके .
२४. जो  नागरिकों के लिए संपत्ति की ऊपरी सीमा निर्धारित कर दे , जिसके ऊपर संपत्ति देश या देश के बाहर रखना संभव न हो.

अगर हम ऐसे व्यक्ति को वोट नहीं डाल सकते तो हम भ्रष्टाचार मुक्त होने के लिए तैयार नहीं हैं और हमारे नेता में ये गुण नहीं हैं तो भ्रष्टाचार से लडाई के नाम पर वो सिर्फ गाल बजा रहा है.  (दीपक तिरुवा )