एक अदद
बड़ी उम्र का
आइना चाहिए मुझको।
कि मैं,
सफर में दूर
निकल तो आया हूँ
लेकिन....
इक चेहरा मेरा
ज़िद कर के
कहीं ठहर गया है,
गुजश्ता उम्र के
किसी पडाव पर
बस एक बार मुझे
उस कमबख्त के
पास जाना है ,
कहूँ उसे कि
"चल यार बहुत हुआ...
उधर मैं भी तनहा हूँ इधर तू..."
मगर इस
उम्रे-नामुराद ने
ये गुंजाइश भी
कहाँ छोड़ी है ?
...ये तमाम
पिछले आईने
तोड़ कर
बढ़ा करती है
कोई कहाँ से लाये
एक अदद
बड़ी उम्र का आइना ...?
बड़ी उम्र का
आइना चाहिए मुझको।
कि मैं,
सफर में दूर
निकल तो आया हूँ
लेकिन....
इक चेहरा मेरा
ज़िद कर के
कहीं ठहर गया है,
गुजश्ता उम्र के
किसी पडाव पर
बस एक बार मुझे
उस कमबख्त के
पास जाना है ,
कहूँ उसे कि
"चल यार बहुत हुआ...
उधर मैं भी तनहा हूँ इधर तू..."
मगर इस
उम्रे-नामुराद ने
ये गुंजाइश भी
कहाँ छोड़ी है ?
...ये तमाम
पिछले आईने
तोड़ कर
बढ़ा करती है
कोई कहाँ से लाये
एक अदद
बड़ी उम्र का आइना ...?
8 comments:
लेकिन....
इक चेहरा मेरा
ज़िद कर के
कहीं ठहर गया है,
वाह। अच्छी अभिव्यक्ति।
मन दर्पण को जब जब देखा उलझ गयी खुद की तस्वीरें
चेहरे पर चेहरों का अन्तर याद दिलाती ये तस्वीरे
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
www.manoramsuman.blogspot.com
shyamalsuman@gmail.com
bahut hi sundar abhiwyakti .......kawota hamesha se man ki gaharaiyo se nikalti hai....our hamesha hi sundar hoti hai
hello..thank you for visiting my blog...you write very well too..
sundar.......
bde gahre merm ka kona chhua aapne.
bdhai!!!!!!!!
अच्छा लिखा
आज़ादी की 62वीं सालगिरह की हार्दिक शुभकामनाएं। इस सुअवसर पर मेरे ब्लोग की प्रथम वर्षगांठ है। आप लोगों के प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष मिले सहयोग एवं प्रोत्साहन के लिए मैं आपकी आभारी हूं। प्रथम वर्षगांठ पर मेरे ब्लोग पर पधार मुझे कृतार्थ करें। शुभ कामनाओं के साथ-
रचना गौड़ ‘भार
ग़ज़ल को अपना स्नेह देने के लिये धन्यवाद.
आपकी कविताएं इस बहाने पढने को मिलीं. आपका ज़िन्दगी को देखने का नज़रिया बहुत ख़ूबसूरत है इसी लिये नज़्म बहुत ख़ूबसूरती से अभिव्यक्त हुई है.
ये तमाम
पिछले आईने
तोड़ कर
बढ़ा करती है
वाह! उम्मीद है आगे भी मुलाकात होगी
मगर इस
उम्रे-नामुराद ने
ये गुंजाइश भी
कहाँ छोड़ी है ?
...ये तमाम
पिछले आईने
तोड़ कर
बढ़ा करती है
bahut sundar aur sachchi abhivyakti....
Post a Comment