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Tuesday, February 17, 2009

चौथा बन्दर (the fourth monkey)


चौथा बन्दर कहानी है कुलवंत नाम के एक नौजवान की ,जो 'गांधीवादी' आदर्शों के साथ जन्म से दलित होने के दंश से संघर्ष कर रहा है । संघर्ष यही प्रदीप का भी है लेकिन 'शहीद -ए-आज़म भगत सिंह ' के बतलाये मार्ग पर । एक पृष्ठभूमि ,एक ही लक्ष्य समता मूलक समाज के लिए दो विचारधाराओं के द्वंद और अस्वीकृतियों की सदियों पुरानी श्रंखला की जकड़न में दलित परिवार में पैदा हुए 'गाँधी ' और 'भगत सिंह ' की छपटाहट के साथ कथानक आगे बढ़ता है, 'कवियत्री विद्या ' के बहाने तथाकथित आधुनिक एवं संवेदनशील तथा 'जोशी मैडम' के किरदार द्वारा संघर्ष के मुख्तलिफ़ आयामों को छू कर अंततः कहानी एक अप्रत्याशित अंत को पहुंचती है । दीपक तिरुवा की मूलकथा पर आधारित हिन्दी नाटक 'चौथा बन्दर ' का प्रेक्षागृह पौडी में ' नव सर्वोदय , पिथोरागढ़ ' और 'नवांकुर नाट्य समूह ' पौड़ी द्वारा संयुक्त मंचन किया गया । निर्देशन मनोज दुर्बी ,संगीत निर्देशन मालश्री ,और प्रकाश संयोजन अजीत बहादुर किया ।

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