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Friday, March 6, 2009

प्यास दरिया है ...!/दीपक तिरुवा

दर्द भी एक बहाना है , मुस्कुराने का


प्यास
दरिया है पानी के डूब जाने का


लहू निगाह में रहता है रात-दिन अपनी


हौसला
कौन करे हमको आजमाने का


पुराने इश्क से सीखा है बहुत-कुछ हमने


अब इरादा है मगर दूर तलक जाने का


मैं
यहाँ तक की हवाओं का ऐतबार करूं


यकीं बहुत है तुम्हारे भी लौट आने का


फिर से मौसम में आहट है नई बारिश की


जी बहुत होता है ऐसे में गुनगुनाने का

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