जम्हूरियत चुनाव की बातें करें/मनोज 'दुर्बी'
जम्हूरियत चुनाव की बातें करें
जातिगत बिखराव की बातें करें
भूख और अभाव की बातें करें
संघर्ष और बदलाव की बातें करें
तोड़ कर दुनिया की सारी सरहदें
इश्क के फैलाव की बातें करें
इस मशीनी जिंदगी में दो घड़ी
छाँव और ठहराव की बातें करें
हर जिस्म हर इक रूह है ज़ख्मी 'मनोज'
किस से अपने घाव की बातें करें।
1 comment:
बहुत शानदार , आख़िरी चार पंक्तियाँ तो लाजवाब , किससे अपने घाव की बातें करें |
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